भारत का इतिहास (हडप्पा सभ्यता ) (2)

 भारत का इतिहास (हडप्पा सभ्यता ) (2)





भारत के इतिहास की बात करें तो भारत का अभी तक ज्ञात और पुरातत्विक खोज से प्राप्त इतिहास हडप्पा का सबसे पुराना है भारत में हडप्पा की सभ्यता सबसे पुराणी सभ्यता थी जहां पर इंसानी बस्तियां मिलने का प्रमाण मिला है यह सभ्यता अत्यंत पुरानी सभ्यता है इस सभ्यता के बारे में अलक्जेंडर कर्निग्हम, जान मार्शल, राय बहादुर, दयाराम सहनी और सर मार्टिमर व्हीलर आदि ने अपने शोध करके बताया है और इन्हीं के शोध के अनुसार भारतीय इतिहास में हडप्पा सभ्यता के बारे में जानकारी मिलती है ऊपर बताये गए मह्नुभाव भारतीय पुरातत्व विभाग के समय समय पर महानिदेशक हुए थे 

हडप्पा सभ्यता की खोज 

हडप्पा सभ्यता के बारे में सबसे पहले संन 1826 में चार्ल्स मेसन द्वारा जानकारी मिली है इन्होने हडप्पा में स्थिति टीलों और वहां पर दबी हुई सभ्यता के बारे में अंग्रेज अधिकारियों को जानकारी दी थी इसके बाद सन 1853 और 1873 में इन जगहों का सर्वेक्षण किया गया इन टीलों का सर्वेक्षण 1853 के बाद समय  समय पर होता रह तथा कभी कभी रुका भी रहा इस लिए इन सर्वेक्षण की अन्य तिथियाँ भी बताई जाती हैं 
सर जान मार्शल ने 1921 -22 में दया राम सहनी और माधोराम वत्स को हडप्पा के उत्खनन के लिए नियुक्त किया तथा 1922 - 23 में राखाल दस बनर्जी को मोहनजोदड़ो के उत्खनन के लिए नियुक्त इसके बाद इन क्षेत्रों का उर्ख्न्न का कार्य चलता रहा सन 1931-32 में इन क्षेत्रों से प्राप्त वस्तुओं के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की गयी और अधिकारिक रूप से पेश की गयी 

हडप्पा सभ्यता या सिन्धुघाटी सभ्यता 

इस सभ्यता के बारे में इसके नाम से सम्बन्धित एक विवाद हुआ कि इस सभ्यता को हडप्पा सभ्यता कहें या सिन्धुघाटी सभ्यता क्योंकि ज्यादातर खोज सिन्धु नदी के किनारे ही मिली लेकिन इसके बाबजूद कुछ क्षेत्र जैसे रंगपुर, लोथल, कालीबंगा, आदि स्थान जो कि सिन्धु नदी अथवा इसकी सहायक नदियों के किनारे नहीं स्थित हैं इस कारण इस सभ्यता को चूँकि सबसे पहले हडप्पा नामक स्थान पर खोज हुई हडप्पा सभ्यता ही कहना स्वीकार किया हालांकि कुछ विद्वान इस सभ्यता को सिन्धुघाटी की सभ्यता कहना ही पसंद करते हैं 

हडप्पा सभ्यता का समय 

हडप्पा सभ्यता का समय विद्वानों ने अलग अलग बताया है लेकिन रेडीयो कार्बन डेटिंग के आधार पर इस भयता का समय 1500 से 2500 ईसा पूर्व का माना गया है 

हडप्पा सभ्यता का क्षेत्र (सीमा)



हडप्पा सभ्यता की सीमा की यदि बात करें तो पूर्व में आलमगीरपुर (उत्तर प्रदेश) पशिचम में सुत्कंडेर (बलोचिस्तान) उत्तर में मंदा (जम्मू कश्मीर ) दक्षिण में दाइमाबाद (उत्तरी महाराष्ट्र) तक थी 

हडप्पा सभ्यता के प्रमुख नगर 

हडप्पा 

इस स्थान पर सबसे पहले हडप्पा सभ्यता की खोज हुई थी यह स्थान अब पकिस्तान के पंजाब प्रदेश के मोंटगोमरी जिले में रावी नदी के जो सिन्धु नदी की सहायक नदी है के बाएं तट पर स्थित है इस क्षेत्र का उत्खनन कार्य दयाराम सहनी और माधोंस्वरूप वत्स के दिशा निर्देश में 1921 - 22 में किया गया इस उत्खनन में यहाँ पर उन्हें कई वास्तुयें प्राप्त ही थी जिनमें प्रमुख कुछ मोहरे प्राप्त हुई जिस पर एक सींग वाला पशु का चित्र पाया गया क्षेत्रफल की दृष्टि से यह क्षेत्र हडप्पा सभ्यता का दूसरा सबसे बड़ा नगर था 

मोहनजोदड़ो 

यह नगर हडप्पा सभ्यता का खोजे जाने वाला दसरा नगर था यह पाकिस्तान के सिन्धु परदेस के लरकाना (ननकाना) जिले में संधू नदी के दायें तट पर स्थित था इस क्षेत्र का उत्खनन कार्य रखल दस बनर्जी ने 1922-23 में कराया था यहाँ पर उन्हें कई वास्तुयें प्राप्त ही थी जिनमें प्रमुख एक शील मिली थी जिस पर तीन मुंह वाले कोई देवता का चित्र था जिसके चारों तरफ हाथी, गैंडा, चीता, भैंसा आदि के चित्र बने थे इन देवता को कुछ इतिहासकारों ने पशुपति नाथ ( शिव जी का एक नाम ) की मूर्ति बताया है 

इस नगर से एक कांसे के नाचने की मुद्रा में मूर्ति मिली तथा एक अन्नागार (अनाज रखने की इमारत), एक बहुत ही बड़ा स्नानकुंड भी मिला है यह नगर हडप्पा सभ्यता का सबसे बड़ा नगर था 

चन्हुदोड़ो

यह नगर पकिस्तान के सिंध प्रदेश में सिन्धु नदी के वाएं तट पर स्थित था इस नगर का उत्खनन का कार्य N G मजुमदार के दिशा निर्देश में 1931 हुआ था यहाँ पर भी बहुत सी बस्तुएं मिली थी जिनमें प्रमुख एक मुद्रा मिली थी जिस पर तीन घड़ियाल तथा दो मछलियों के चित्र पाए गए इसके अलावा यहाँ पर पकी ईंटो से नालियां बनने के भी प्रमाण भी मिले थे 

काली बंगा 

यह नगर भारत के राजस्थान प्रदेश के हनुमान गढ़ जिले में स्थित है इस क्षेत्र का उत्खनन कार्य B B लाल और B K थापर के दिशा निर्देश में 1953 में कराया गया यहाँ से जुटे हुए खेत, नक्क्शी दार ईंटें, अग्निकुंड, घोड़े के जीवाश्म, युग्मित (एक साथ ) समाधी आदि प्राप्त हुए थे 

लोथल 

यह नगर भारत के गुजरात प्रदेश के अहमदाबाद जिले में स्थित है यह भोगवा नदी के तट पर स्थित था इस जगह के उत्खनन का कार्य रंगनाथ राव ने 1954 में किया था यह पर चावल के दाने आटा पीसने की चक्की के पाट लगभग 20 समाधियाँ जिनमे कुछ समाधियाँ युग्मित (एक साथ कई) भी पाई गयी यहं पर घर के दरवाजे सडक की ओर खुलते थे 

आलमगीरपुर 

यह नगर भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के मेरठ जिले में प्या गया है इस जगह के उत्खनन का कार्य 1958 में यज्ञ दत्त शर्मा ने किया था यहाँ पर एक नांद पर बुने हुए वस्त्र के चित्र, शंख आदि प्राप्त हुए थे 

वनमाली (वनवाली)

यह स्थान भारत के हरियाणा रही के हिसार जिले में स्थित है यह रनगोई नदी के तट पर स्थित है इस स्थान के उत्खनन का करी 1974 में R S बिष्ट ने कराया था यहाँ से मिटटी के हल, जों आदि वस्तुएं प्राप्त हई थी इस जगह का नाम चलन में वनवाली है किन्तु इतिहासकारों ने वनमाली कहा है 

धौलावीरा 

यह स्थान भारत के गुजरात राज्य के कच्छ जिले में स्थित है इस स्थान के उत्खनन का कार्य 1990 - 91 में R S बिष्ट ने कराया था इस स्थान से घोड़े के जीवाश्म, एक पशु की कांसे की मूर्ति, एक अभिलेख, खेलने का मैदान, नेवले की मूर्ति, विशाल जलाशय आदि प्राप्त हुआ था इस नगर के प्रवेश द्वार पर एक साइन बोर्ड भी मिला था जिसका लेख अभी तक पढ़ा नहीं जा सका 

हडप्पा सभ्यता का आर्थिक जीवन और रहन सहन

हडप्पा सभ्यता के लोगों का आर्थिक जीवन कृषि आदि पर निर्भर था इसका प्रमाण निम्न वस्तुओं से मिलता है 

कृषि 

हडप्पा सभ्यता में कृषि से सम्बन्धित बहुत सी वस्तुएं प्राप्त हुई है जिनमें गेहूं, जों, तिल, सरसों, मटर, तरबूज आदि के बीज मिले हैं जिनसे सिद्ध होता है कि हडप्पा सभ्यता के लोग कृषि का अच्छा ज्ञान रखते थे और समय समय पर इनका पैदावार किया करते थे और शायद इनका विपणन भी किया करते होंगे 

भोजन 

हडप्पा सभ्यता के उत्खनन में गेहूं, जों, खजूर, घी, दही, दूध, भेड़, मुर्गा, मछली, कछुआ, सूअर आदि पाए गए हैं जिनसे अनुमान लगाया जाता है कि हडप्पा सभ्यता के लोगों का मुख्य भोजन यह सब था 

पशुपालन 

हडप्पा सभ्यता के लोग कुत्ता, घोडा, बैल, मुर्गा, सूअर, भेड़, बकरी, ऊँट, गधा, बिल्ली, भैंस, आदि पशु पलते थे 

धातुएं

हडप्पा सभ्यता के लोग कांसे, सोना, चांदी, पत्थर, तांबा, जस्ता आदि धातुओं का प्रयोग करते थे यहाँ पर ध्यान देने वाले बात यह है कि हडप्पा सभ्यता के उत्खनन में लोहे की कहीं प्राप्ति नहीं हुई इससे अनुमान लगाया जाता है कि हडप्पा सभ्यता के लोग लोहे के बारे में नहीं जानते थे 

व्यपार 

हडप्पा सभ्यता के लोग कपड़ा बुनने काम जानते थे और उनक व्यपार भी किया करते थे इन लोगों का व्यपार अफगानिस्तान, तुर्की, मेसोपोटामिया, खुरासान, ग्रीक आदि देशों से होता था 

हडप्पा सभ्यता के लोगों का सामाजिक रहन सहन 

आभूषण 

हडप्पा सभ्यता के लोग अभुषण का बहुतायत में प्रयोग करते थे यह लोग आभूषण में कंठहार, अंगूठी, करधनी, भुजबंद, पाजेब बालियाँ आदि का प्रयोग करते थे हडप्पा सभ्यता के लोग महिला और पुरुष दोनों लोग आभूषण के शौक़ीन थे 

पहनावा 

हडप्पा सभ्यता के लोग रेशमी और सूती कपड़ों का प्रयोग किया करते थे 

घरेलू बर्तन 

हडप्पा सभ्यता के लोग घरेलू बर्तनों में तसले, लोटे, प्याले, मटके आदि का उपयोग किया करते थे 

धार्मिक जीवन 

हडप्पा सभ्यता के लोग पशुओं, वृक्षों, धरती, सूर्य, चन्द्र आदि की पूजा किया करते थे स्वस्तिक चिह्न हडप्पा सभ्यता से ही प्राप्त हुआ था 

हडप्पा सभ्यता और वैदिक सभ्यता में अंतर 

कुछ लोगों का कथन है कि हडप्पा सभ्यता और वैदिक सभ्यता एक ही सभटा थी लेकिन कुछ मूलभूत अंतर से हम कह सकते हैं कि वैदिक सभ्यता और हडप्पा सभ्यता दोनों अलग अलग सभ्यता थी 
  1. हडप्पा सभ्यता के लोग प्रकृति की पूजा करते थे जबकि वैदिक सभ्यता के लोग यज्ञ और इंद्र की पूजा किया करते थे 
  2. हडप्पा सभ्यता के लोग मांस का भोजन में प्रयोग किया करते थे जबकि वैदिक सभ्यता के लोग मांस का प्रयोग भोजन में नहीं किया करते थे 
  3. हडप्पा सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थे जबकि वैदिक सभ्यता ग्रामीण सभ्यता थी 
  4. हडप्पा सभ्यता के लोगों को लोहे की जानकारी नहीं थी जबकि वैदिक सभ्यता के लोगों को लोहे का ज्ञान था 
  5. हडप्पा सभ्यता में माता को प्रमुख मान जाता था जबकि वैदिक सभ्यता में पिता प्रमुख होता था 

हडप्पा सभ्यता का अन्त

हडप्पा सभ्यता के अंत को लेकर इतिहासकार एक मत नहीं हैं इतिहासकार तरह तरह के मत देते हैं उनमे से कुछ मत निम्न हैं 
  1. जान मार्शल और रविन्द्र सिंह बिष्ट के अनुसार हडप्पा सभ्यता का अन्त बाढ़ से हुआ है कुछ विद्वान् हडप्पा सभ्यता का अन्त बाढ़ से नहीं मानते हैं कारण मोहनजोदड़ो से प्राप्त कंकाल से ऐसा लगता है उनकी हत्या की गयी थी यहाँ पर कुछ कंकाल धार दार हथियार से कते हुए भी पाए गए हैं 
  2. आरेल स्टाइन और अम्लान्न्द घोष के अनुसार हडप्पा सभ्यता का अन्त जलवायु परिवर्तन के कारण हुआ यह कारण भी कुछ विद्वान् नकार रहे हैं क्योंकि कुछ जगहों पर महिलाओं के कंकाल आभूषण से युक्त मिले हैं इसके अलावा बच्चों के भी कंकाल भी मिले हैं जो इस टफ इशारा करते हैं कि इस सभ्यता के अन्त का कारण जलवायु परिवर्तन नहीं होगा 
  3. M R साहनी, जार्ज डेल्स और R L राईक्स के अनुसार हडप्पा सभ्यता का अन्त भूकम्प से हुआ है लेकिन अभी तक के इतिहास से किसी भी सभ्यता या बहुत बड़े जनमानस का अन्त भूकम्प से हुआ नहीं पाया गया है इसलिए यह थ्योरी भी सही नहीं लगती है 
  4. अमेरिकी इतिहासकार केनेडी के अनुसार इस सभ्यता का अन्त मलेरिया महामारी से हुआ है लेकिन चूंकि पहले बता चुके हैं कि कुछ जगह पर धार दार हथियार से कटे हुए कंकाल पाए गए तथा मकान की दीवालो पर जलने के निशाँ भी पाए गए थे यह इस बात का भी इशारा करते हैं कि इस सभ्यता का अन्त किसी भी महामारी से नहीं हुआ 
  5. रूसी इतिहासकार M दिलियेव के अनुसार इस सभ्यता का अन्त बिजली गिरने से हुआ लेकिन इतनी बड़ी सभ्यता का अन्त बिजली गिरने से हुआ सम्भव नहीं है 
  6. गार्डेन चाइल्ड, मैके, पिग्मेटऔर मर्तिम्रर व्हीलर के अनुसार आर्यों के राजा इंद्र ने इस सभ्यता पर आक्रमण किया और उन्होंने इस सभ्यता का अन्त कर दिया उनका कहने का कारण सिर्फ यह है कि ऋग विद में इंद्र को पुरंदर कहा गया है जिसका अर्थ घर उजाड़ने वाला होता है लेकिन किसी भी वेद में इंद्र या किसी अन्य राजा का इतना बड़ा युद्ध का वर्णन नहीं मिलता है जिससे कोई इतनी बड़ी सभ्यता को नष्ट किया गया हो 
  7. मोहनजोदड़ो द इंड सिविलाइजेशन 1931 पुस्तक में जान मार्शल ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें बताया गया कि मोहनजोदड़ो में एक गली मिली है जिसे उन्होंने डेड मैन गली का नाम दिया है में एक खोपड़ी का कंकाल, एक व्यस्क की छाती का कंकाल, कुछ हाथ की हड्डियाँ मिली जिससे यह जाहिर होता है कि इस सभ्यता के अन्त कारण बाढ़, बिजली, भूकम्प आदि से नहीं हुआ होगा 
  8. हडप्पा 1946, एशियेंट इण्डिया (जर्नल)1947 की रिपोर्ट में मर्तिमर व्हीलर ने बताया कि हडप्पा सभ्यता में प्राप्त साक्ष्यों में पुरुषों और महिलाओं और बच्चों के कंकाल को आभूषणों के साथ पाया गया इसके अलावा ऐसा लगता है कि उन्हें किसी धार दार हथियार से जैसे कुल्हाड़ी या फरसे से बड़ी बेरहमी से काटा गया हो जिससे यह अनुमान लगता है कि किसी की साधारण मृत्यु के उपरान्त आभूषणों के साथ नहीं दफनाया जाता है 
अन्त में हडप्पा सभ्यता के अन्त के बारे में सही से कह पाना मुश्किल किन्तु ऐसा लगता है कि इस सभ्यता का अन्त या टी ओयुद्ध से हुआ था अथवा एक साथ कई कारण रहे होंगी रही बात आर्यों की रो आर्यों के किसी भी ग्रन्थ में इस बात का वर्णन नहीं मिलता कि उन्होंने कभी भी इतनी बड़ी सभ्यता का अन्त किया था 
उम्मीद है कि आप को हडप्पा सभ्यता के बारे में दी गयी जानकारी अच्छी लगी होंगी कृपया इस ब्लॉग को सबस्क्राइब करें और लोगों को शेयर करें 

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