महर्षि गौतम जिन पर लगा गौ हत्या का पाप

 

महर्षि गौतम


महर्षि गौतम का स्थान सप्त ऋषियों में है यह बहुत ही महान ऋषि हुए थे इन्होने समाज और मानवता के लिए बहुत ही उल्लेखनीय कार्य किये इनके जन्म में अनेक मतान्तर हैं एक माता के अनुसार महर्षि अंगीरा जो कि ब्रह्मा के मानस पुत्र थे महर्षि अंगीरा और उनकी पत्नी स्वधा के पुत्र हुआ जिसका नाम उतथ्य हुए उतथ्य और उनकी पत्नी ममता से एक पुत्र हए जिनका नाम उनका नाम दीर्घतमस था दीर्घतमस से महर्षि गौतम का जन्म हुआ इनकी माता का नाम प्रद्वेशी था
महर्षि गौतम के दो पुत्र हुए जिनका नाम शतानन्द और चिरकाल थे इसके अलावा इनके एक पुत्री भी थी जिसका नाम विजय था गौतम ऋषि का वास्तिवक नाम शारद्वत गौतम कुछ ग्रन्थों में बताया गया यही ऋषि आगे चल कर गौतम ऋषि के नाम प्रशिद्ध हुए
कहते हैं ब्रह्मा जी ने अपनी मानस पुत्री अहिल्या महर्षि गौतम के पास अमानत के तौर पर रखा था यही अहिल्या बाद में महर्षि गौतम की धर्म पत्नी बनी इनका जीवन बहुत ही संघर्ष पूर्ण बीता इन्हें इनकी अच्छाई के लिए बुराई का सामना करना पड़ा तबै कहीं जाकर ऋषि गौतम महान कहलाये ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, शतपथ ब्राह्मण, धर्मशास्त्र, वृहदारण्यक, उपनिषद, कठोपनिषद, छान्दोग्योपनिषद्, देवीपुराण, शिवपुराण, महाभारत रामायण व कई अन्य प्राचीन ग्रन्थों में मह्रिषी गौतम का उल्लेख मिलता है यहाँ यह कहना मुशिकल है कि सभी विभिन कालों में भिन्न भिन्न गौतम हुए हैं इस लिए कुछ विद्वान मानते हैं गौतम किसी व्यक्ति का नाम नहीं वल्कि यह एक उपाधि थी जो ऋषियों के उनके योगदान के फल स्वरूप अथवा कोई और नियम होता होगा जिससे विभूषित किया जाता था इनके बारे में अनेक ग्रन्थों अलग अलग प्रकार से वर्णन किया गया है जिसमे कुछ वर्णन बिरोधाभास युक्त भी है
इनके पिता जन्मांध थे जो बृहस्पति के श्राप के कारण था इनके बारे में कहा जाता है कि इन्होने वेद, वेदांगों और शास्त्रों का ज्ञान गर्भावस्था में प्राप्त कर लिया था इनके पिता दीर्घतमस का विवाह इनके ज्ञान और विद्वता की वजह से हुआ था जब इनकी आयु 100 वर्षों की हुयी तब इन्होने घोर तप किया और अपनी आँखों को पुन: प्राप्त किया तब से इनका नाम गोतम अर्थात उत्तम नेत्र वाला पद गया इनके ही पुत्र महर्षि गौतम हुए इनके इस गोतम के नाम से ही इनका नाम गौतम पड़ा

गौतम ऋषि का विवाह और अहिल्या को श्राप

ब्रह्मा जी की मानस पुत्री और आद्य सृष्टि स्त्री अहिल्या पंच सतियों व पंच कन्याओं में प्रथम स्थान रखती हैं कहीं अहिल्या को मेनका और मुद्गल की पुत्री थी अहिल्या अत्यंत सुन्दर विदुषी महिला थी इंद्र ने इन्हें अपनी पत्नी के रूप में ब्रह्मा से माँगा किन्तु ब्रह्मा ने अहिल्या को गौतम ऋषि के पास अमानत के तौर पर रखा था जिन्हें बाद में गौतम ऋषि की पत्नी बना दिया इसी प्रकार एक कथा और प्रचलित है जिसमें अहिल्या के विवाह की शर्त रखी थी कि जो कोई पृथ्वी की परिक्रमा करके प्रथम आता है अहिल्या उसे वर दी जायेगी सभी देव प्रतिभागी अपने वाहन से पृथ्वी की परिकेमा करने के लिए निकल पड़े किन्तु गौतम ऋषि शिवलिंग की परिक्रमा करके सर्वप्रथम करके वहां पहुँच गए तब इन्हें अहिल्या वर दी गयीं किन्तु इंद्र को इनकी पत्नी अहिल्या पर से नियत सही नहीं थी इस लिए इंद्र ने छल से अहिल्या पर मिथ्या इल्जाम लगाकर चरित्र पर लांछन लगाया जिस पर विशवास करके गौतम ऋषि ने अहिल्या को श्राप दे दिया जिससे अहिल्या पत्थर की हो गयी जिन्हें त्रेता में श्री रामचंद्र जी ने उद्धार किया था

गौतम ऋषि और गौहत्या का पाप

गौतम बढ़ती हुई लोकप्रियता आश्रम के अन्य ऋषियों और उनकी पत्नियों को पसंद नहीं इर्ष्या वश उन्होंने यज्ञ देव की तपस्या की और उनसे गौतम ऋषि को अपमान करके आश्रम से निकाल देवें ऋषियों के बार बार विनती से माज्बूरन यज्ञ देव एक अत्यंत जीर्ण शीर्ण गाय का रूप लेकर गौतम ऋषी के आश्रम में घुसती है और आश्रम के पौधों को खाने और नष्ट करने लगी जिससे हांकने के लिए गौतम ऋषि ने एक पतला सा तिनका लेकर गे को हांका तिनका लगते ही गाय ने दम तोड़ दिया इस पर अन्य ऋषियों ने गौतम ऋषि पर गौ हत्या का लांछन लगाकर उन्हें आश्रम से बाहर निकाल दिया जब गौतम से इसका प्रायश्चित का उपाय पूछा तो उन्होंने कहा तीन बार इस धरती का परिक्रमा सबको यह बताते हुए करो कि हमने गौहत्या का पाप किया है उसके बाद यहाँ आकर एक महीने का व्रत करो फिर ब्र्ह्मव्रत पर्वत के 101 चक्कर लगाओ तब तुम्हारी शुद्धि होगी अथवा गंगा जी को यहाँ लाकर एक करोड़ पार्थिव शिव लिंगों को अभिषेक करके ब्रह्मगिरी पर्वत के 11 चक्कर लगाओ उसके बाद सौ घड़ों से सभी शिवलिंगों का स्नान करने से तुम्हारे पाप से मुक्ति मिलेगी
गौतम ऋषि अन्य ऋषियों द्वारा बताई गयी सारे शर्तों को पूरा किया लेकिन उन ऋषियों तब भी उन्हें पाप से मुक्ति नहीं दी तब गौतम ऋषि ने शिव की घोर आराधना की जिससे प्रश्न होकर शिव ने उन्हें दर्शन दिए और वरदान मांगने के लिए कहा तब गौतम ऋषि ने गौ हत्या के पाप से मुक्ति का वर माँगा तब शिव जी ने कहा तुम नि:श्पाप हो अब मैं उन ऋषियों को इस बात का दंड देना चाह रहा हूँ तब गौतम ऋषि ने उन्हें क्षमा करने के लिए कहा और कहा उन लोगों के कारण आज मैं आपके दर्शन करने में सक्षम हुआ हूँ इसलिए उन्हें मेरा परम हितकर समझ के क्षमा करदें तब शिव जी ने उन्हें माफ़ किया था क्षमाँ की ऐसी मिसाल कम ही मिलती है उसके बाद गौतम ऋषि ने शिव जी से वहां पर निवास करने के लिए कहा इससे शिव जी वहां पर त्र्यन्ब्केषर के नाम से विराजमान हो गए वहीं सपास से गोदावरी नदी जिससे गौतम ऋषि लाये थे गोदावरी के नाम से बहती है
न्याय शास्त्र के प्र्रथम ज्ञाता गौतम ऋषि मन जाता है इन्होने न्याय शास्त्र के बारे में विस्तृत व्याख्या की है इन्होने सोलह तथ्यों के बारे बताया जिसके आधार किसी के अपराध को साबित किया जाता है
कुला मिलाकर गौतम ऋषि एक महान ऋषि हुए

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