आज के समय में धर्म और मानव



अपने आज के समय में धर्म और मानव 

  आज के समय में मनुष्य को धर्म को मानना उसकी इच्छा पर  निर्भर नहीं करता है मनुष्य का धर्म इस बात पर निर्भर करता है कि  वह जिस परिवार समाज में जन्म लिया है वह  परिवार समाज कौन सा धर्म का अनुयायी है। मनुष्य के पैदा  होते ही उसका समाज परिवार जिस धर्म को मानते हैं उसे उस व्यक्ति को  मनवाने  के लिए उपाय करने लगते हैं उसे अपने धर्म के हिसाब से रीती रिवाज मानने के लिए प्रेरित करते हैं। जब तक वह व्यक्ति नासमझ रहता है उसे उसका परिवार समाज यही समझते हैं कि वह जिस धर्म  में पैदा हुआ है वह धर्म सभी धर्मों से श्रेष्ठ है और वह अपने धर्म का सम्मान करे और जो कुछ भी आज तक उस धर्म  होता रहा है है वह भी करे। बचपन में इस तरह की बाते उसे सिखाई जाने लगती हैं धीरे धीरे वह जब युवा होता है तो जिस धर्म समाज में व्यक्ति पला बढ़ा होता है वह उसे मानने लगता है और उसे ठीक भी लगने लगती हैं व्यक्ति का मन मष्तिष्क इतना ज्यादा संकीर्ण हो जाता है कि वह उन बातों के आलावा  कुछ सुनना समझना ही नहीं चाहता। यदि कोई धर्म की कोई  बात को गलत बताता है तो उसे अधर्मी और ईश्वर न मानने वाला घोषित करने में भी नहीं चूकते हैं। 

धर्म का विरोध और परिणाम 

  आज संसार में मुख्य रूप से 8 धर्म प्रचलित हैं सभी जानते हैं की ऐसा हमेशा से नहीं था पहले यदि हम 3000-4000 साल पहले देखें तो उस समय इतने भी धर्म नहीं थे समय समय पर कुछ समाज सुधारकों ,पैगंबरों ने पुराने प्रचलित धर्मों का विरोध किया इसके लिए उन्हें जो वर्तमान में प्रचलित धर्म के अनुयायियों ने काफी प्रताड़ित भी किया  परन्तु किसी तरह उनके द्वारा बताये गए नियमों को लोगों ने अपनाया भी किन्तु उनके बाद तथकथित धर्मों के ठेकेदारों ने अपनी सुविधा के अनुसार उन नियमों को तोड़ मरोड़ कर लोगों के सामने रक्खा और उन्हें बाध्य किया कि वह उन नियमों को माने। 

धर्म के अनुयायियों से लाभ 

  धर्म के अधिक अनुयायी अधिक  से लाभ वास्तव में किसे है यह बात विचर करने योग्य है। आम आदमी चाहे वह  किसी भी धर्म का हो सुकून से रहना चाहता है। लेकिन फिर भी प्र्त्येक धर्म के जो मुख्य लोग होते हैं वह अपने धर्म के मानने वालों में बढ़ोत्तरी चाहते रहते हैं और उसके लिए लोगों को उकसाते भी रहते हैं कि हमारा धर्म खतरे में है सोचने वाली बात है कि यदि किसी भी धर्म के मानने बाले ज्यादा होंगे तो आम आदमी या उस धर्म के मानने  बाले लोगों को क्या लाभ होगा उन्हें ईश्वर को जिसे भी उस धर्म के लोग मानते हैं से डर दिखाया जाता है अथवा काल्पनिक स्वर्ग या जन्नत का लालच समझाया जाता है। जिससे वह लोग उनके साथ दे देते हैं वस्तुतः प्रत्यक्ष रूप से मेरे विचार से किसी आम व्यक्ति  नहीं होता है 

लेखक की और से 

उपर्युक्त विचार मेरे अपने हैं और इसका उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है  विचार शेयर करें धन्यबाद 

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