मुगलों के आगमन से पूर्व भारत की शासन व्यवस्था
मुगलों के आने से पहले भारत में कई राजवंशों और साम्राज्यों का शासन था। यह समय भारतीय इतिहास में विविधता और परिवर्तन का दौर था। मुगल साम्राज्य की स्थापना 1526 में बाबर द्वारा पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराने के बाद हुई। इससे पहले भारत में कई प्रमुख शासक और राजवंश थे, जिनकी शासन व्यवस्था और प्रशासनिक ढांचे अपने-अपने समय में महत्वपूर्ण थे।
1. दिल्ली सल्तनत (1206-1526)
मुगलों से पहले भारत में दिल्ली सल्तनत का शासन था। दिल्ली सल्तनत की स्थापना 1206 में कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा की गई थी। यह सल्तनत पांच राजवंशों से मिलकर बनी थी:
गुलाम वंश (1206-1290)
खिलजी वंश (1290-1320)
तुगलक वंश (1320-1414)
सैय्यद वंश (1414-1451)
लोदी वंश (1451-1526)
शासन व्यवस्था:
दिल्ली सल्तनत में एक केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था थी। सुल्तान सर्वोच्च शासक होता था और उसके नीचे विभिन्न मंत्री और अधिकारी होते थे।
प्रशासनिक ढांचे में इक्ता प्रणाली महत्वपूर्ण थी, जिसमें सैन्य अधिकारियों और सरदारों को भूमि दी जाती थी और बदले में वे सुल्तान को सैन्य सेवा प्रदान करते थे।
न्याय व्यवस्था इस्लामिक कानून (शरिया) पर आधारित थी, लेकिन स्थानीय स्तर पर हिंदू कानूनों को भी मान्यता दी जाती थी।
आर्थिक व्यवस्था कृषि और व्यापार पर आधारित थी। सल्तनत ने कर प्रणाली को मजबूत किया और सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण किया।
2. विजयनगर साम्राज्य (1336-1646)
दक्षिण भारत में विजयनगर साम्राज्य का शासन था। इसकी स्थापना हरिहर और बुक्का ने की थी। यह साम्राज्य हिंदू संस्कृति और प्रशासन का केंद्र था।
शासन व्यवस्था:
विजयनगर साम्राज्य में एक सुसंगठित प्रशासनिक व्यवस्था थी। राजा सर्वोच्च शासक होता था और उसके नीचे मंत्रिपरिषद होती थी।
साम्राज्य को प्रांतों में बांटा गया था, जिन्हें नाडु कहा जाता था। प्रत्येक प्रांत का प्रशासन एक गवर्नर के हाथ में होता था।
कृषि और व्यापार को बढ़ावा दिया गया। सिंचाई के लिए बड़े पैमाने पर तालाब और नहरों का निर्माण किया गया।
न्याय व्यवस्था स्थानीय स्तर पर संचालित होती थी और हिंदू धर्मशास्त्रों पर आधारित थी।
3. बहमनी सल्तनत (1347-1527)
दक्कन क्षेत्र में बहमनी सल्तनत का शासन था। इसकी स्थापना अलाउद्दीन हसन बहमन शाह ने की थी।
शासन व्यवस्था:
बहमनी सल्तनत में एक केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था थी। सुल्तान सर्वोच्च शासक होता था और उसके नीचे विभिन्न मंत्री और अधिकारी होते थे।
सल्तनत ने इस्लामिक कानूनों को लागू किया, लेकिन स्थानीय स्तर पर हिंदू परंपराओं को भी मान्यता दी जाती थी।
आर्थिक व्यवस्था कृषि और व्यापार पर आधारित थी। बहमनी सल्तनत ने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए बंदरगाहों का विकास किया।
4. राजपूत राज्य
उत्तर भारत में कई राजपूत राज्य थे, जैसे मेवाड़, मारवाड़, और अम्बर। ये राज्य अपनी वीरता और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाने जाते थे।
शासन व्यवस्था:
राजपूत राज्यों में एक सामंती व्यवस्था थी। राजा सर्वोच्च शासक होता था और उसके नीचे सामंत और सरदार होते थे।
प्रशासनिक ढांचा विकेंद्रीकृत था और स्थानीय स्तर पर सामंतों का शासन होता था।
न्याय व्यवस्था हिंदू धर्मशास्त्रों पर आधारित थी और स्थानीय स्तर पर पंचायतें न्याय करती थीं।
5. गुजरात सल्तनत (1407-1573)
गुजरात में गुजरात सल्तनत का शासन था। इसकी स्थापना जाफर खान ने की थी, जो बाद में मुजफ्फर शाह के नाम से जाना गया।
शासन व्यवस्था:
गुजरात सल्तनत में एक केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था थी। सुल्तान सर्वोच्च शासक होता था और उसके नीचे विभिन्न मंत्री और अधिकारी होते थे।
सल्तनत ने व्यापार को बढ़ावा दिया और अरब सागर के तट पर बंदरगाहों का विकास किया।
न्याय व्यवस्था इस्लामिक कानूनों पर आधारित थी, लेकिन स्थानीय स्तर पर हिंदू परंपराओं को भी मान्यता दी जाती थी।
निष्कर्ष:
मुगलों के आने से पहले भारत में विविध शासन व्यवस्थाएं थीं। दिल्ली सल्तनत, विजयनगर साम्राज्य, बहमनी सल्तनत, राजपूत राज्य, और गुजरात सल्तनत जैसे राजवंशों ने अपने-अपने क्षेत्रों में शासन किया। इन सभी शासन व्यवस्थाओं में केंद्रीकृत और विकेंद्रीकृत प्रशासनिक ढांचे, कृषि और व्यापार पर आधारित आर्थिक व्यवस्था, और धार्मिक एवं सांस्कृतिक विविधता देखी जा सकती है। मुगल साम्राज्य ने इन विविधताओं को एकीकृत करने और भारत में एक नई शासन व्यवस्था स्थापित करने का प्रयास किया।