ऋषि भरद्वाज विमान का आविष्कार करने वाले भारतीय

ऋषि भरद्वाज विमान का आविष्कार करने वाले भारतीय 

विमान शास्त्र रचने वाले ऋषि 


भारत के महानतम ऋषियों में ऋषि बहर्द्वाज का नाम बड़े ही आदर से लिया जाता है भारत के इन ऋषियों ने बहुत ही मानवता के कार्य किये हैं कुछ आविष्कार जिन्हें पश्चिमी देशों का बताया जाता है वस्तुत: भारत में इन अविष्कारों के बारे में बहुत ही पहले से जानकारी थी उन्हीं अव्श्कारों में विमान का आविष्कार भी है जिसे रोबर्ट्स ब्रदर से पहले भारतीय ऋषि भार्स्वाज के द्वारा लिखित विमान शास्त्र में पहले से ही वर्णन है इस पोस्ट में जानते हैं इन्हीं ऋषि के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण जानकारी 

ऋषि भरद्वाज 

पिता बृहस्पति और माता ममता के पुत्र ऋषि भरद्वाज की गणना सप्त ऋषियों में होती है इन को ऋगु वेद के छठे मंडल का दृष्टा कहा जाता है इसके अतिरिक्त यह ब्रह्मा, इंद्र और बृहस्पति के बाद में चोथे व्याकरण प्रवक्ता हुए है इन्हें आयुर्वेद का भी ज्ञाता बताया जाता है इनके भाई का नाम कच था यह बाल्मीकी ऋषि के शिष्य थे जब कोंच पक्षी को वाण लगा था जिससे व्यथित होकर बाल्मीक ने रामायण की रचना की थी उस समय भारद्वाज ऋषि मह्रिषी बाल्मीक के साथ ही थे वनवास के समय श्री राम इनके आश्रम में गए थे इन्होने श्री राम को उपदेश दिए और आगे का मार्ग प्रशस्त किया 

ऋषि भारद्वाज की रचनाएँ 

भारद्वाज आयुर्वेद संहिता, भरद्वाज स्मृति, राज शास्त्र, यंत्र सर्वस्व (विमान के बारे में ) आदि ग्रन्थों की रचना ऋषि भार्स्वाज ने की थी इनके लिखे बहुत से ग्रन्थ अत्यंत दुर्लभ हैं इन्होने प्रयाग को वसाया था तथा वहां पर एक गुरकुल की स्थापना भी की थी जहाँ पर बहुत से शिष्य विद्या अध्यन किया करते थे 

ऋषि भारद्वाज और विमान शास्त्र 

ऋषि भारद्वाज के विमान शास्त्र अत्यंत प्रचलित ग्रन्थ है जिसमें इन्होने विमान, लड़ाकू विमान, शटल, रॉकेट, आदि के बारे में तथा इनके निर्माण के बारे में बताया है इसके अलावा इन्होने विमान ओ अद्रश्य करने के बारे में भी जानकारी दी है 

ऋषि भारद्वाज के अन्य उल्लेखनीय कार्य 

विश्व की पहली परिक्रमा ऋषि भारद्वाज की दें है इन्होने प्रयाग में श्री द्वादश माधव की परिक्रमा की शुरुआत की थी और इस परिक्रमा सम्बन्धित कुस्छ नियम भी बनाये वे नियम इस प्रकार हैं 

1-जन्मों के संचित पाप का क्षय होगा, जिससे पुण्य का उदय होगा।

2-सभी मनोरथ की पूर्ति होगी।

3-प्रयाग में किया गया कोई भी अनुष्ठान/कर्मकाण्ड जैसे अस्थि विसर्जन, तर्पण, पिण्डदान, कोई संस्कार यथा मुण्डन यज्ञोपवीत आदि, पूजा पाठ, तीर्थाटन,तीर्थ प्रवास, कल्पवास आदि पूर्ण और फलित नहीं होंगे जबतक स्थान देेेेवता अर्थात भगवान श्री द्वादश माधव की परिक्रमा न की जाए।

ऋषि भारद्वाज भारतीय सनातन के श्रेष्ठ ऋषि हैं इन्होने मानव और विश्व के लिए कई उल्लेखनीय कार्य किये हैं 

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for comments

और नया पुराने